Maa Kali Chalisa In Hindi (माँ काली चालीसा): Arth Sahit

जानने की आवश्यकता
यदि आप सम्पूर्ण माँ काली चालीसा (Maa Kali Chalisa) अर्थ सहित पढ़ना चाहते है साथ ही विभिन भाषा में पीडीऍफ़ चाहते है तो सही जगह पे आए हैं।
Icon
4.9/5 (10)
Name Maa Kali Chalisa : माँ काली चालीसा
Category Chalisa
No. Of Pages 6
Size 919 KB
Source ChalisaPDF.in

Maa Kali Chalisa: माँ काली को समर्पित एक भक्ति भजन है, जिसे शक्ति और विनाश की देवी के रूप में भी जाना जाता है। भजन में चालीस (40) छंद होते हैं जो देवी के विभिन्न गुणों, शक्तियों और आशीर्वादों को उजागर करते हैं। काली चालीसा पढ़ने से आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों तरह के कई लाभ होते हैं।

इन्हे भी पढ़े :-

माँ काली चालीसा – Kali Chalisa Hindi

Lyrics

॥दोहा॥
जयकाली कलिमलहरण,
महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका,
देहु अभय अपार ॥

॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥

अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥

भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥

दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥

सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥

अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥

भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥

महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥

पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥

शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥

तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥

रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥

नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥

कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥

महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16॥

भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥

आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥

कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥

ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥

सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥

त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥

खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥

रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥

तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥

ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥

तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥

बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥

करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥

तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥

शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥

मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥

दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥

संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥

प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥

काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥

दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥

करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥

सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥

॥दोहा॥
प्रेम सहित जो करे,
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना,
होय सकल जग ठाठ ॥

काली चालीसा के लाभ (Kali Chalisa Padhne Ke Fayde)

माँ काली चालीसा (Kali Chalisa के मदत से आप रोजाना पढ़ सकते हैं) का रोजाना नियमित रूप से पाठ सही तरीके से करने से आपके जीवन में सुख शांति और आपके जीवन से बुराईयों को माँ काली दूर करती है जीवन में बरकत आती है।

काली चालीसा में कई शक्तिशाली प्रतिज्ञान और प्रार्थनाएँ हैं जो हमारे जीवन में विभिन्न चुनौतियों को दूर करने में हमारी मदद कर सकती हैं।

काली चालीसा पढ़ने से हमें विनम्रता, करुणा और भक्ति जैसे गुणों को विकसित करने में भी मदद मिल सकती है। चालीसा बताती है कि कैसे काली एक दयालु माँ हैं जो अपने भक्तों की रक्षा और पालन-पोषण करती हैं। इन गुणों पर चिंतन करके और अपने जीवन में उनका अनुकरण करने का प्रयास करके, हम बेहतर इंसान बन सकते हैं

Kali Chalisa Video (महाकाली चालीसा)

काली चालीसा : FAQ

माँ काली की पूजा किस दिन करें

माता काली की पूजा शु‍क्रवार के दिन या मध्य रात्रि का समय माता काली का समय होता है। इस समय माता काली की विशेष पूजा आराधना की जाती है। मुख्यता दीपावली की अमावस्या में माता काली की मुख्य पूजा होती है

मां काली के कितने रूप हैं

माता काली के चार रूप है सबसे पहले दक्षिणा काली दूसरा शमशान काली तीसरा मातृ काली और चौथा महाकाली। माँ काली माता ने महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसों के वध किए थे।

Leave a Comment