Vishwakarma Chalisa In Hindi (विश्वकर्मा चालीसा): Lyrics, Aarti

जानने की आवश्यकता
भगवान विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है और Vishwakarma Chalisa भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है जिसे आप पढ़ के प्रशां कर सकते है.
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Name Vishwakarma Chalisa : विश्वकर्मा चालीसा
Category Chalisa
No. Of Pages 4
Size 1M
Source ChalisaPDF.in

Vishwakarma Chalisa: विश्वकर्मा चालीसा एक हिंदू भक्ति भजन है जो भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में दिव्य वास्तुकार और निर्माता माना जाता है। चालीसा में चालीस छंद शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में भगवान विश्वकर्मा की महिमा और विशेषताओं का वर्णन है।

विश्वकर्मा चालीसा अर्थ

चालीसा की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा और उनके विभिन्न नामों जैसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के आह्वान से होती है, जो दर्शाता है कि वे ब्रह्मांड के निर्माता, संरक्षक और विध्वंसक हैं। निम्नलिखित श्लोकों में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकला, इंजीनियरिंग और मूर्तिकला सहित सभी शिल्प और प्रौद्योगिकियों के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है।

चालीसा भगवान विश्वकर्मा से सफलता और आशीर्वाद प्राप्त करने में कड़ी मेहनत, समर्पण और भक्ति के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। छंद भक्तों से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने और सफलता, समृद्धि और सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद लेने का आग्रह करते हैं।

चालीसा दुनिया में शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना के साथ समाप्त होता है, और भगवान विश्वकर्मा अपने सभी भक्तों पर अपनी कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

विश्वकर्मा चालीसा का पाठ विश्वकर्मा पूजा के दौरान भक्तों द्वारा किया जाता है, जो भगवान विश्वकर्मा का सम्मान करने और उनके संबंधित व्यवसायों में सफलता और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

विश्वकर्मा चालीसा – Vishwakarma Chalisa In Hindi

Lyrics

॥ दोहा ॥

विनय करौं कर जोड़कर, मन वचन कर्म संभारि।

मोर मनोरथ पूर्ण कर, विश्वकर्मा दुष्टारि॥

॥ चौपाई ॥

विश्वकर्मा तव नाम अनूपा। पावन सुखद मनन अनरूपा॥

सुंदर सुयश भुवन दशचारी। नित प्रति गावत गुण नरनारी॥

शारद शेष महेश भवानी। कवि कोविद गुण ग्राहक ज्ञानी॥

आगम निगम पुराण महाना। गुणातीत गुणवंत सयाना॥

जग महँ जे परमारथ वादी। धर्म धुरंधर शुभ सनकादि॥

नित नित गुण यश गावत तेरे। धन्य-धन्य विश्वकर्मा मेरे॥

आदि सृष्टि महँ तू अविनाशी। मोक्ष धाम तजि आयो सुपासी॥

जग महँ प्रथम लीक शुभ जाकी। भुवन चारि दश कीर्ति कला की॥

ब्रह्मचारी आदित्य भयो जब। वेद पारंगत ऋषि भयो तब॥

दर्शन शास्त्र अरु विज्ञ पुराना। कीर्ति कला इतिहास सुजाना॥

तुम आदि विश्वकर्मा कहलायो। चौदह विधा भू पर फैलायो॥

लोह काष्ठ अरु ताम्र सुवर्णा। शिला शिल्प जो पंचक वर्णा॥

दे शिक्षा दुख दारिद्र नाश्यो। सुख समृद्धि जगमहँ परकाश्यो॥

सनकादिक ऋषि शिष्य तुम्हारे। ब्रह्मादिक जै मुनीश पुकारे॥

जगत गुरु इस हेतु भये तुम। तम-अज्ञान-समूह हने तुम॥

दिव्य अलौकिक गुण जाके वर। विघ्न विनाशन भय टारन कर॥

सृष्टि करन हित नाम तुम्हारा। ब्रह्मा विश्वकर्मा भय धारा॥

विष्णु अलौकिक जगरक्षक सम। शिवकल्याणदायक अति अनुपम॥

नमो नमो विश्वकर्मा देवा। सेवत सुलभ मनोरथ देवा॥

देव दनुज किन्नर गन्धर्वा। प्रणवत युगल चरण पर सर्वा॥

अविचल भक्ति हृदय बस जाके। चार पदारथ करतल जाके॥

सेवत तोहि भुवन दश चारी। पावन चरण भवोभव कारी॥

विश्वकर्मा देवन कर देवा। सेवत सुलभ अलौकिक मेवा॥

लौकिक कीर्ति कला भंडारा। दाता त्रिभुवन यश विस्तारा॥

भुवन पुत्र विश्वकर्मा तनुधरि। वेद अथर्वण तत्व मनन करि॥

अथर्ववेद अरु शिल्प शास्त्र का। धनुर्वेद सब कृत्य आपका॥

जब जब विपति बड़ी देवन पर। कष्ट हन्यो प्रभु कला सेवन कर॥

विष्णु चक्र अरु ब्रह्म कमण्डल। रूद्र शूल सब रच्यो भूमण्डल॥

इन्द्र धनुष अरु धनुष पिनाका। पुष्पक यान अलौकिक चाका॥

वायुयान मय उड़न खटोले। विधुत कला तंत्र सब खोले॥

सूर्य चंद्र नवग्रह दिग्पाला। लोक लोकान्तर व्योम पताला॥

अग्नि वायु क्षिति जल अकाशा। आविष्कार सकल परकाशा॥

मनु मय त्वष्टा शिल्पी महाना। देवागम मुनि पंथ सुजाना॥

लोक काष्ठ, शिल ताम्र सुकर्मा। स्वर्णकार मय पंचक धर्मा॥

शिव दधीचि हरिश्चंद्र भुआरा। कृत युग शिक्षा पालेऊ सारा॥

परशुराम, नल, नील, सुचेता। रावण, राम शिष्य सब त्रेता॥

ध्वापर द्रोणाचार्य हुलासा। विश्वकर्मा कुल कीन्ह प्रकाशा॥

मयकृत शिल्प युधिष्ठिर पायेऊ। विश्वकर्मा चरणन चित ध्यायेऊ॥

नाना विधि तिलस्मी करि लेखा। विक्रम पुतली दॄश्य अलेखा॥

वर्णातीत अकथ गुण सारा। नमो नमो भय टारन हारा॥

॥ दोहा ॥

दिव्य ज्योति दिव्यांश प्रभु, दिव्य ज्ञान प्रकाश।

दिव्य दॄष्टि तिहुँ, कालमहँ विश्वकर्मा प्रभास॥

विनय करो करि जोरि, युग पावन सुयश तुम्हार।

धारि हिय भावत रहे, होय कृपा उद्गार॥

॥ छंद ॥

जे नर सप्रेम विराग श्रद्धा, सहित पढ़िहहि सुनि है।

विश्वास करि चालीसा चोपाई, मनन करि गुनि है॥

भव फंद विघ्नों से उसे, प्रभु विश्वकर्मा दूर कर।

मोक्ष सुख देंगे अवश्य ही, कष्ट विपदा चूर कर॥

विश्वकर्मा चालीसा पढने के फायदे (Vishwakarma Chalisa Benefits)

भगवान विश्वकर्मा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक देवता हैं जिन्हें ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार और निर्माता के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने देवताओं के हथियारों के साथ-साथ उनके महलों और वाहनों का भी निर्माण किया था। वह शिल्पकारों और कारीगरों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजनीय हैं। भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक हिंदू भजन है, जिन्हें दिव्य वास्तुकार और शिल्पकारों और कारीगरों का देवता माना जाता है। माना जाता है कि विश्वकर्मा चालीसा के माध्यम से पाठ या विश्वकर्मा प्रार्थना करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं, जिनमें से कुछ हैं:

  • भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद: विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करके, भक्त भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिन्हें सभी शिल्प और तकनीकों का स्वामी माना जाता है।
  • चालीसा के पाठ (Vishwakarma Chalisa से आप कर पढ़ सकते हैं) द्वारा भगवान विश्वकर्मा की कृपा का आह्वान करने से व्यक्ति अपने व्यावसायिक और निजी जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों से पार पा सकता है।
  • रचनात्मकता और कौशल में सुधार भगवान विश्वकर्मा को सभी शिल्पकारों और कारीगरों का संरक्षक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करने से ऐसे व्यवसायों में शामिल लोगों की रचनात्मकता और कौशल स्तर में वृद्धि होती है।

Vishwakarma Chalisa Video (श्री विश्वकर्मा चालीसा)

विश्वकर्मा चालीसा: FAQs

विश्वकर्मा जयंती कब मनाई जाती है?

रवि, सितम्बर 17, 2023

विश्वकर्मा जी कौन थे?

भगवान विश्वकर्मा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक देवता हैं जिन्हें ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार और निर्माता के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने देवताओं के हथियारों के साथ-साथ उनके महलों और वाहनों का भी निर्माण किया था। वह शिल्पकारों और कारीगरों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजनीय हैं।

विश्वकर्मा के पिता कौन है?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा का पुत्र कहा जाता है। उन्हें दुनिया के दिव्य वास्तुकार और निर्माता के रूप में माना जाता है, और माना जाता है कि उन्होंने हिंदू धर्म में मंदिरों और मूर्तियों जैसे कई पवित्र और महत्वपूर्ण संरचनाओं का निर्माण किया है।

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