Vindeshwari Chalisa In Hindi: विंधेश्वरी चालीसा देवी विंधेश्वरी को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जिन्हें देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। विंधेश्वरी चालीसा विशेष रूप से भारत के उत्तरी क्षेत्रों में के बीच लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि विश्वास और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अपनी समस्याओं और बाधाओं को दूर करने और एक सुखी और पूर्ण जीवन जीने में मदद मिल सकती है।
विंधेश्वरी चालीसा का पाठ आमतौर पर नवरात्रि उत्सव के दौरान किया जाता है, जो नौ दिनों का त्योहार है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। चालीसा का पाठ अन्य शुभ अवसरों जैसे शादियों, गृहप्रवेश समारोहों और अन्य धार्मिक समारोहों में भी किया जाता है।
विंधेश्वरी चालीसा – Vindeshwari Chalisa Hindi
Vindheshwari Chalisa Lyrics
|| दोहा ||
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब।
संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब॥
|| चौपाई ||
जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥
सिंह वाहिनी जय जगमाता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥
कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय संत असुर सुरसेवी॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी। सेष सहस मुख बरनत हारी॥
दीनन के दु:ख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥
सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे। सो तुरतहिं वांछित फल पावे॥
तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥
रमा राधिका स्यामा काली। तू ही मात संतन प्रतिपाली॥
उमा माधवी चंडी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥
तुम ही हिंगलाज महरानी। तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी॥
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता। दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता॥
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी। हेमावती अंबे निरबानी॥
अष्टभुजी बाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥
चौसट्टी देवी कल्याणी। गौरि मंगला सब गुन खानी॥
पाटन मुंबा दंत कुमारी। भद्रकाली सुन विनय हमारी॥
बज्रधारिनी सोक नासिनी। आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी॥
जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु बिकराली॥
नाम अनंत तुम्हार भवानी। बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥
जापर कृपा मातु तव होई। तो वह करै चहै मन जोई॥
कृपा करहु मोपर महारानी। सिध करिये अब यह मम बानी॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याणा॥
बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै। जो देवी का जाप करावै॥
जो नर कहे रिन होय अपारा। सो नर पाठ करे सतबारा॥
नि:चय रिनमोचन होई जाई। जो नर पाठ करे मन लाई॥
अस्तुति जो नर पढै पढावै। या जग में सो बहु सुख पावै॥
जाको ब्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई॥
जो नर अति बंदी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई॥
नि:चय बंदी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥
जापर जो कुछ संकट होई। नि:चय देबिहि सुमिरै सोई॥
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई। सो नर या विधि करै उपाई॥
पाँच बरस सो पाठ करावै। नौरातर महँ बिप्र जिमावै॥
नि:चय होहि प्रसन्न भवानी। पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी॥
ध्वजा नारियल आन चढावै। विधि समेत पूजन करवावै॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहि आन उपाई॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढत होवै अवनीसा॥
यह जनि अचरज मानहु भाई। कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई॥
जय जय जय जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥
|| इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा समाप्त ||
विंधेश्वरी चालीसा पढने के फायदे (Vindeshwari Chalisa Padhne Ke Fayde)
विंधेश्वरी चालीसा एक भक्तिमय भजन है। विंधेश्वरी चालीसा पढ़ने के कुछ मुख्य लाभ हैं:
- विश्वास और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से देवी विंधेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है, जिन्हें एक शक्तिशाली और परोपकारी देवी के रूप में माना जाता है। देवी का आशीर्वाद व्यक्ति को अपनी समस्याओं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है और एक सुखी और पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है।
- नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति अपने और अपने प्रियजनों के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना सकता है।
- माना जाता है कि चालीसा का मन और भावनाओं पर शांत और सुखदायक प्रभाव पड़ता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है और आंतरिक शांति और शांति की भावना को बढ़ावा दे सकता है।