Surya Chalisa In Hindi (सूर्य चालीसा): Lyrics Padhne Ke Fayde

जानने की आवश्यकता
भगवान सूर्य देव की आराधना आप श्री सूर्य चालीसा और फिर सच्चे मन से बस नाम मात्र लेने से भी कर सकते है फिर भी हमने Surya Chalisa हिंदी में दिया है आप पढ़ सकते हैं
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Name Surya Chalisa : सूर्य चालीसा
Category Chalisa
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Source ChalisaPDF.in

Surya Chalisa In Hindi: सूर्य चालीसा एक भक्तिमय भजन है जो भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा की अभिव्यक्ति में अद्वितीय है। भजन में चालीस छंद शामिल हैं जो सूर्य देव के गुणों और आशीर्वादों का गुणगान करते हैं। सूर्य चालीसा को जो अद्वितीय बनाता है वह हमारे जीवन के भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को परमात्मा से जोड़ने की क्षमता है।

सूर्य चालीसा के बारे में

भजन भगवान सूर्य के आशीर्वाद का आह्वान करने और उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन मांगने से शुरू होता है। इसके बाद यह सूर्य देव के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करता है, जिसमें उनके उज्ज्वल रूप, उनकी उदार प्रकृति और जीवन और ऊर्जा के स्रोत के रूप में उनकी भूमिका शामिल है। भजन भगवान सूर्य के साथ हमारे संबंधों में कृतज्ञता और विनम्रता के महत्व पर भी प्रकाश डालता है और हमारी प्रार्थनाओं में भक्ति और ईमानदारी की आवश्यकता पर बल देता है।

सूर्य चालीसा को अन्य भक्ति भजनों से अलग करता है, यह भगवान सूर्य की पूजा करने के शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभों पर जोर देता है। भजन सूर्य देव को जीवन शक्ति और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पहचानता है, और अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद के महत्व पर बल देता है। यह सूर्य पूजा के आध्यात्मिक पहलुओं को भी छूता है, जैसे कि आत्मा की शुद्धि और आत्मज्ञान की प्राप्ति।

कुल मिलाकर, सूर्य चालीसा (Surya Chalisa पढ़े हिंदी में) एक अद्वितीय भक्ति भजन है जो हिंदू आध्यात्मिकता के सार को समाहित करता है। इसके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं का मिश्रण इसे व्यक्तिगत विकास और परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाता है। इस भजन की शक्ति के माध्यम से, भक्त परमात्मा से जुड़ सकते हैं और अपने जीवन के हर पहलू में भगवान सूर्य के आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं।

श्री सूर्य चालीसा – Surya Dev Chalisa Hindi

Surya Chalisa Lyrics In Hindi

दोहा:

श्री रविहरत आ होरात तमे, अगणित किरण पसारी,
वंदन करू टन चरण म़ें, अर्घ देऊ जल धारी,
सकल श्रीस्टी के स्वामी हो, सचराचर के नाथ,
निसदिन होत हे तुमसे ही, होवत संध्या प्रभात.

चौपाई:

जय भगवान सूर्य तुमहारी, जय खगेश दिनकर सुभकारी,
तुम हो श्रिस्टी के नेत्रा स्वरूपा, त्रिगुण धारी त्रै वेद स्‍वरूपा.

तुम ही करता पालक संहारक, भुवन चतुर्दश के संचालक,
सुन्दर वदन चतुर्भुज धारी, रश्मी रती तुम गगन विहारी,
चकरा शंख आरू स्वेट कमलधर, वरमुद्रा सोहत चोटेकार,
शीश मुकट कुंडल गाल माला, चारू तिलक तव भाल विशाला.

शाख्‍त अश्वा रात द्रुत गामी, अरुण सारथी गति अविरामी,
राख्त वरण आभुसन धारक, अतिप्रिया तोहे लाल पदारथ,
सर्वतमा काहे तुम्ही ऋग्वेदा, मेटरा काहे तुम को सब वेडा,
पांच देव म़ें पूजे जाते, मन वंचित फल साधक पते.

द्वादश नाम जाप आऔधरक, रोग शोक आरू कस्त निवारक,
मया कुन्ती तव ध्यान लगायो, दानवीर सूट कारण सो पायो,
राजा युधिस्ठिर तव जस गयो, अक्षय पटरा वो बन म़ें पायो,
शास्त्रा त्याग अर्जुन अकुरयो, बन आदित्य हृदय से पायो.

विन्द्याचल तब मार्ग म़ें आयो, हाहा कर तिमिर से छायो,
मुनि अगस्त्य गिरि गर्व मीटायो, निजटक बन से विंध्या ना वयो,
मुनि अगस्तय तव महिमा गयी, सुमिर भये विजयी रघुराई,
तोहे विरोक मधुर फल जाना, मुख म़ें लीन्ही तोहे हनुमाना.

तव नंदन शनिदेव कहावे, पवन ते सूट शनी तीर मिटवे,
यज्ना व्रत स्तुति तुम्हारी किन्ही, भेट शुक्ला यगुर्वेद की दीन्ही,
सूर्यमुखी खरी तर तव रूपा, कृष्णा सुदर्शन भानु स्वरूपा,
नमन तोहे ओंकार स्वरूपा, नमन आत्मा आरू काल स्वरूपा.

डिग-दिगंत तव तेज प्रकाशे, उज्ज्वल रूप तुमहि आकाशे,
दस दिगपाल करत तव सुमिरन, आंजन नेत्रा करत हे सुमिरन,
त्रिविध टाप हारता तुम भगवान, ज्ञान ज्योति करता तुम भगवान,
सफल बनावे तव आराधन, गयत्री जाप सार्ह हे साधन,

संध्या त्रिकल करत जो कोई, पावे कृपा सदा तव वोही,
चित्त शांती सूर्यशटक देवे, व्याधि उपाधी सब हर लेवे,
आस्ठदल कमल यंत्रा सुभकारी, पूजा उपसन तव सुखकारी,
माघ माज़ सुद्ध सप्तमी पवन, आरंभ हो तव सुभ व्रत पालन.

भानु सप्तमी मंगल करी, भक्ति दायिनी दोषं हरि,
रवि वासर जो तुम को ध्यावे, पुत्रादिक सुख वैभव पावे,
पाप रूपी पर्वत के विनाशी, वज्र रूप तुम हो अविनाशी,
राहू आन तव ग्रास बनावे, ग्रहण सूर्य तब को लग जाये.

धर्म दान टाप करत है साधक, मिटत राहू तब पीड़ा बधक,
सूर्य देव तब कृपा कीजे, दीर्घा आयु बाल बुद्धि डेजे,
सूर्य उपासना कर नित ध्यावे, कुस्त रोग से मुक्ति पावे,
दक्षिण दिशा तोरी गति ग्‍यावे, दक्षिणायन वोही केहलावे.

उत्तर मार्जी तो उरु रथ होवे, उतरायण तब वो केहलावे,
मन आरू वचन कर्म हो पवन, संयम करत भले नित आर्धन.

दोहा:

भारत दस चिंतन करत, धार दिन कर तव ध्यान,
रखियो कृपा इस भक्त पे, तुम्हारी सूर्य भगवान.

सूर्य चालीसा पढ़ने के फायदे (Surya Chalisa Padhne Ke Fayde)

  • अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है: भगवान सूर्य को ऊर्जा और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य चालीसा का पाठ करने से शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा मिलता है।
  • एकाग्रता बढ़ाता है: सूर्य चालीसा (Surya Chalisa से आप कर सकते है) एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो मन को केंद्रित करने में मदद करती है और एकाग्रता में सुधार करती है। यह छात्रों या उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जिन्हें लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।
  • रिश्तों में सुधार करता है: माना जाता है कि सूर्य चालीसा रिश्तों को सुधारने और किसी के जीवन में सद्भाव और शांति लाने के लिए माना जाता है। यह गलतफहमियों को दूर करने और परिवार के सदस्यों, दोस्तों और सहकर्मियों के बीच प्यार, समझ और करुणा को बढ़ावा देने के लिए कहा जाता है।
  • आंतरिक शक्ति प्रदान करता है: सूर्य चालीसा आंतरिक शक्ति और लचीलापन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। ऐसा कहा जाता है कि यह जीवन की चुनौतियों और बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक साहस और दृढ़ संकल्प प्रदान करता है। भजन को भक्ति और ईमानदारी के साथ पढ़ने से व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति का दोहन करने और प्रतिकूलता पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।

Surya Chalisa Aarti Video (सूर्य चालीसा)

सूर्य चालीसा : FAQs

सूर्य देव के पिता कौन थे

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य भगवान सूर्य के पिता को ऋषि कश्यप माना जाता है। कश्यप एक प्रसिद्ध ऋषि हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी कई पत्नियाँ थीं, जिनमें अदिति, दिति और विनता शामिल थीं, जिन्होंने कई देवताओं और राक्षसों को जन्म दिया।

सूर्य देव के कितने पुत्र थे

हिंदू पौराणिक कथाओं में, सूर्य भगवान सूर्य के दो पत्‍नियां और 10 संतानें हैं।पुत्र माने जाते हैं। उनके पुत्रों में सबसे प्रसिद्ध शनि या शनि हैं, जिन्हें हिंदू ज्योतिष में एक शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि का जन्म सूर्य और उनकी पत्नी छाया (छाया) से हुआ था, जिसे सूर्य की पत्नी सरन्यू ने अपनी प्रतिकृति के रूप में बनाया था।

हिंदू शास्त्रों में वर्णित सूर्य के अन्य पुत्रों में मृत्यु के देवता यम शामिल हैं; मानव जाति के पूर्वज मनु; और दिव्य चिकित्सक अश्विनी कुमार, जिन्हें देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। कहा जाता है कि सूर्य की यमी या यमुना नाम की एक बेटी भी थी, जो भारत में यमुना नदी की देवी है।

सूर्य को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

सूर्य को जल अर्पित करते समय सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला मंत्र सूर्य नमस्कार मंत्र है। यह मंत्र सूर्य देव को नमस्कार है और माना जाता है कि यह शरीर और मन की शुद्धि में मदद करता है। मंत्र है:

“ॐ मित्राय नमः, ॐ रावये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः, ॐ खगाय नमः, ॐ पुष्ने नमः, ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, ॐ मारीचये नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ सावित्रे नमः, ॐ अर्काय नमः, ॐ भास्कराय नमः”

इस मंत्र में सूर्य देव के बारह नाम हैं, जिनमें से प्रत्येक नाम सूर्य की ऊर्जा और शक्ति के एक विशिष्ट पहलू से जुड़ा है। सूर्य को जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करने से सूर्य देव की कृपा और कृपा का आह्वान किया जा सकता है और उनकी जीवनदायी ऊर्जा और जीवन शक्ति प्राप्त की जा सकती है।

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