Shiv Chalisa In Hindi PDF Downlaod (शिव चालीसा) Paath, Lyrics

जानने की आवश्यकता
भगवान शिव की आराधना करना चाहते है लकिन आपको शिव चालीसा का पीडीऍफ़ नही मिल रहा है तो हमने Shiv Chalisa In Hindi उपलब्ध कराया है इस आर्टिकल में
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Name Shiv Chalisa : शिव चालीसा
Category Chalisa
No. Of Pages 36
Size 16M
Source ChalisaPDF.in

Shiv Chalisa In Hindi: शिव चालीसा एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है जो भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। जिसे हम देवो के देव महादेव, शिव शंकर, बोलेनाथ बोले बाबा अन्य बहुत से नामों से पुकारते है चालीस छंद होते हैं जो भगवान शिव के विभिन्न गुणों और गुणों की प्रशंसा करते हैं। शिव चालीसा हिंदी मै

भगवान शिव की भक्ति दिखाने और उनका आशीर्वाद लेने के तरीके के रूप में सुनाई जाती है। शिव चालीसा भक्तों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है जो शैववाद का पालन करते हैं, हिंदू धर्म के भीतर प्रमुख परंपराओं में से एक है जो भगवान शिव को सर्वोच्च मानते हैं।

शिव चालीसा के बारे में

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) की शुरुआत भगवान शिव के आह्वान से होती है, जो उन्हें बुराई के नाश करने वाले और सत्य और धार्मिकता के अवतार के रूप में स्तुति करते हैं। प्रार्थना में भगवान शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जिसमें ब्रह्मांड के स्वामी, विनाश के देवता और सभी ज्ञान और ज्ञान के स्रोत के रूप में उनकी भूमिका शामिल है।

शिव चालीसा के छंद भी भगवान शिव के विभिन्न गुणों और गुणों को उजागर करते हैं, जैसे कि उनकी करुणा, उनकी बुद्धि, उनकी शक्ति और उनके भक्तों के प्रति समर्पण। प्रार्थना बताती है कि कैसे भगवान शिव उन लोगों पर अपना आशीर्वाद बरसाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं जो उनका सच्चे मन से भक्ति भाव से उनकी प्रथना करता है और सभी पर दया का भाव रखता है ।

शिव चालीसा के दौरान, भक्त भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं और विभिन्न उद्देश्यों के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।

शिव चालीसा लिरिक्स – Shiv Chalisa Hindi Lyrics

शिव चालीसा पाठ

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

शिव चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं? (Shiv Chalisa Padhne Ke Fayde)

शिव चालीसा पढ़ने (Shiv Chalisa Paath) से व्यक्ति के मन और शरीर की शुद्धी होती है। प्रार्थना भगवान शिव के करीब लाता है नियमित पाठ व्यक्ति के परमात्मा के साथ संबंध को गहरा करने में मदद मिलता है, जिससे आंतरिक शांति, आनंद और तृप्ति की भावना बढ़ जाती है।

ऐसा माना जाता है की शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa के मदत से आप कर सकते हैं) प्रतिदिन करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न

Shiv Arti पढ़े और शिव जी को जल्दी से प्रसन्न करे और मनोकामना पूरा करे

यह भी माना जाता है कि यह भक्तों को जीवन में बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद करता है और उन्हें भगवान शिव और उनकी दिव्य कृपा के करीब लाता है।

Shiv Chalisa Aarti Video (शिव चालीसा)

शिव चालीसा : FAQs

शिव चालीसा की महिमा

भगवान शिव की महिमा का कोई बखान नही किया जा सकता सबसे पहले तो शिव शंकर बोले नाथ तो भोले है किसी से भी तुरंत प्रसन्न हो जाते है वे पुरे जगत के संग्रह कर्ता और रक्षा कर्ता दोनों ही है शिव समुन्द्र मंथन का बिष अपने कंठ में ग्रहण कर रखे है इसलिए उन्हें नीलकंठ भी पुकारते है इस रहत उनकी महिमा का बखान करने लगे तो मेरा जीवन छोटा पड़ जायेगा उनकी महिमा का कोई अंत नही है जय बोले नाथ

शिव चालीसा पढ़ने के नियम

सुबह प्रातकाल के समय स्नान करके साफ कपडे पहनकर पूर्व दिशा की और बैठें कर धूप दिये फूल प्रसाद ले कर और शुद्ध घी के दिये जला कर और एक छोटा सा लोटे में शुद्ध जल भरकर रखें और शिव चालीसा का पाठ शुरू करे पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर मे छिड़क दें और थोड़ा सा जल स्वयं पी और प्रसाद उठा कर सभी लोगो में बाटे

शिव चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?

चालिसा का पाठ 3, 5, 11 बार करना चाहिये और साथ ही शिव चालिसा को भक्ति भाव से बोल बोल कर पाठ करना चाहिए जिससे बाकि लोग भी सुने और इसका लाभ ले सके

शिव चालीसा कब पढ़े

शिव चालीसा रोजाना सुबह और शाम में पढ़े

शिव चालीसा के रचयिता कौन है

शिव चालीसा अवधी भाषा में लिखे गए शिव शंकर भोलेबाबा को समर्पित एक भक्ति भाव स्तोत्र है। इसके रचयिता अयोध्यादास जी हैं।

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