Lalita Chalisa In Hindi: ललिता चालीसा एक भक्तिपूर्ण भजन है जिसमें हिंदू देवी ललिता को समर्पित 40 छंद हैं, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी या शोदशी के नाम से भी जाना जाता है। ललिता चालीसा आमतौर पर भक्तों द्वारा देवी का आशीर्वाद लेने और उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए जप या पाठ किया जाता है।
ललिता चालीसा के छंदों में देवी के विभिन्न गुणों और गुणों का वर्णन किया गया है, जिसमें उनकी सुंदरता, करुणा, ज्ञान और शक्ति शामिल है। भजन भी ब्रह्मांड की माँ और प्रेम और भक्ति के अवतार के रूप में उनकी भूमिका के लिए देवी की प्रशंसा करता है।
ललिता चालीसा हिंदू धर्म की शक्ति परंपरा के अनुयायियों के बीच एक लोकप्रिय भक्ति भजन है, और इसे अक्सर त्योहारों और देवी ललिता को समर्पित शुभ अवसरों के दौरान सुनाया जाता है।
श्री ललिता चालीसा – Lalitha Chalisa In Hindi
Lyrics
॥ चौपाई ॥
जयति जयति जय ललिते माता। तव गुण महिमा है विख्याता॥
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी। तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥
ह्रदय निवासिनी-भक्त तारिणी। नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥
दश विद्या है रुप तुम्हारा। श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥
धूमा, बगला, भैरवी, तारा। भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। ललितेशक्ति तुम्हारी संगी॥
ललिते तुम हो ज्योतित भाला। भक्त जनों का काम संभाला॥
भारी संकट जब-जब आये। उनसे तुमने भक्त बचाए॥
जिसने कृपा तुम्हारी पायी। उसकी सब विधि से बन आयी॥
संकट दूर करो माँ भारी। भक्त जनों को आस तुम्हारी॥
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। जय जय जय शिव की महारानी॥
योग सिद्दि पावें सब योगी। भोगें भोग महा सुख भोगी॥
कृपा तुम्हारी पाके माता। जीवन सुखमय है बन जाता॥
दुखियों को तुमने अपनाया। महा मूढ़ जो शरण न आया॥
तुमने जिसकी ओर निहारा। मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। महाशक्ति जय जय, भय हारी॥
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा। लीला ललिते करें अनूपा॥
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे। त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे॥
महा महा-नन्दे कल्याणी। मूकों को देती हो वाणी॥
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। होता तब सेवा अनुरागी॥
जो ललिते तेरा गुण गावे। उसे न कोई कष्ट सतावे॥
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥
आया माँ जो शरण तुम्हारी। विपदा हरी उसी की सारी॥
नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी। सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥
महिमा तव सब जग विख्याता। तुम हो दयामयी जग माता॥
सब सौभाग्य दायिनी ललिता। तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥
आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो। कष्ट भयानक हर लेती हो॥
मन से जो जन तुमको ध्यावे। वह तुरन्त मन वांछित पावे॥
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥
मूलाधार, निवासिनी जय जय। सहस्रार गामिनी माँ जय जय॥
छ: चक्रों को भेदने वाली। करती हो सबकी रखवाली॥
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। सब हैं सेवक सब अनुगामी॥
सबको पार लगाती हो माँ। सब पर दया दिखाती हो माँ॥
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। भण्डासुर कि हृदय विदारिणी॥
सर्व विपति हर, सर्वाधारे। तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥
चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी। कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥
भक्त जनों को दरस दिखाओ। संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। होवे सुख आनन्द अधीसा॥
जिस पर कोई संकट आवे। पाठ करे संकट मिट जावे॥
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥
पुत्र-हीन संतति सुख पावे। निर्धन धनी बने गुण गावे॥
इस विधि पाठ करे जो कोई। दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥
सबसे लघु उपाय यह जानो। सिद्ध होय मन में जो ठानो॥
ललिता करे हृदय में बासा। सिद्दि देत ललिता चालीसा॥
॥ दोहा ॥
ललिते माँ अब कृपा करो, सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय करे, करते तुम्हें प्रणाम॥
Lalita Chalisa Hindi Lyrics Video
ललिता चालीसा पढ़ने के लाभ (Lalita Chalisa Benefits)
देवी ललिता को अपने भक्तों की रक्षक माना जाता है। माना जाता है कि ललिता चालीसा पढ़ने से पाठक को देवी की सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।
ललिता चालीसा का पाठ (Lalita Chalisa से कर सकते है) करने से व्यक्ति के मार्ग से विघ्नों को दूर करने और सफलता और समृद्धि लाने में मदद मिल सकती है।
ललिता चालीसा में ऐसे छंद हैं जो देवी ललिता के गुणों और गुणों का वर्णन करते हैं। इन श्लोकों को पढ़ने और उन पर चिंतन करने से पाठक को दिव्य स्त्री के बारे में ज्ञान प्राप्त करने और आध्यात्मिकता की गहरी समझ विकसित करने में मदद मिल सकती है
माना जाता है कि ललिता चालीसा पढ़ने से पाठक को देवी ललिता से जुड़ने में मदद मिलती है, जिन्हें प्रेम, सौंदर्य और सद्भाव का अवतार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति, आनंद और संतोष की अनुभूति होती है।