Kuber Chalisa In Hindi (कुबेर चालीसा): Arth Sahit

जानने की आवश्यकता
धन के स्वामी कुबेर है इन्हें धनवंता भी कहा जाता आप कुबेर चालीसा पढ़ के प्रशां कर सकते है प्रतिदिन पढ़ने के लिए Kuber Chalisa In Hindi पढ़े
Icon
5/5 (6)
Name Kuber Chalisa : कुबेर चालीसा
Category Chalisa
No. Of Pages 5
Size 97 KB
Source ChalisaPDF.in

Kuber Chalisa In Hindi: भगवान कुबेर को समर्पित एक भक्ति भजन है, जिसे धन के भगवान और देवताओं के खजांची के रूप में माना जाता है। और भक्तों द्वारा भगवान कुबेर से आशीर्वाद और धन प्राप्त करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।

कुबेर चालीसा भगवान कुबेर की स्तुति करती है और धन, समृद्धि और सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मांगती है। चालीसा में भगवान कुबेर की शारीरिक उपस्थिति, उनकी दिव्य शक्तियों और देवताओं के खजांची के रूप में उनकी भूमिका का भी वर्णन है। चालीसा भगवान कुबेर से भक्त की इच्छाओं को पूरा करने और उसे सभी बुराइयों से बचाने की प्रार्थना के साथ समाप्त होती है।

कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) को एक शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है जो भक्तों को धन और समृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और सौभाग्य और सफलता मिलती है। भक्त अक्सर शुक्रवार को और दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान चालीसा का पाठ करते हैं, जो धन और समृद्धि से जुड़े होते हैं।

माँ लक्ष्मी धन, शान्ति, सम्पदा, और समृद्धि की देवी है, हमने Laxmi Chalisa भी दिया है अपने इस ChalisaPDF साईट में

कुबेर चालीसा पाठ – Kuber Chalisa In Hindi

Lyrics

॥ दोहा ॥

जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥१॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥२॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी ॥३॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥४॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥५॥
सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारैं ॥६॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥७॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥८॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥९॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया । अमृत पान करी अमर हुई काया ॥१०॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥११॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में । बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥१२॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥१३॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं । गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥१४॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं । ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥१५॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं । यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥१६॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं । देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥१७॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥१८॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं । पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥१९॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं । वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥२०॥

कांधे धनुष हाथ में भाला । गले फूलों की पहनी माला ॥२१॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दूर दूर तक होए उजाला ॥२२॥
कुबेर देव को जो मन में धारे । सदा विजय हो कभी न हारे ॥२३॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे । अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥२४॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं । कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥२५॥
कुबेर भगत के संकट टारैं । कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥२६॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे । क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥२७॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं । दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥२८॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं । अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥२९॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥३०॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे । कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥३१॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे । कुबेर भूले को राह बता दे ॥३२॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे । भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥३३॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे । दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥३४॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे । कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥३५॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे । चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥३६॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावै । जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥३७॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं । मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥३८॥
पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदा सवाई ॥३९॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई ॥४०॥

जो कुबेर का पाठ करावै । उसका बेड़ा पार लगावै ॥४१॥
उजड़े घर को पुन: बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ॥४२॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई । सब सुख भोग पदार्थ पाई ॥४३॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥४४॥

॥ दोहा ॥

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥

॥ इति श्री कुबेर चालीसा संपूर्णम् ॥

कुबेर चालीसा के लाभ (Kuber Chalisa Benefits In Hindi)

कुबेर चालीसा पढने से (Kuber Chalisa Padhne Ke Fayde) आपके जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है कुबेर चालीसा पढने सच्चे मन से पढने से आपके जीवन में कभी भी धन की कमी नही आती है और जीवन खुशहाल रहता है

  • धन को आकर्षित करता है: कुबेर चालीसा को एक शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है जो धन और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद कर सकता है। चालीसा का भक्ति भाव से पाठ करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य और सफलता मिलती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर, जो धन के देवता हैं, भक्त को बहुतायत और समृद्धि का आशीर्वाद दे सकते हैं।
  • व्यवसाय में सुधार करता है कुबेर चालीसा का पाठ (Kuber Chalisa से आप कर सकते है) अक्सर व्यवसायी और उद्यमी अपनी व्यावसायिक संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर भक्त को उसके व्यावसायिक उपक्रमों में सफलता और लाभप्रदता का आशीर्वाद दे सकते हैं।

Kuber Chalisa With Lyrics Video (कुबेर चालीसा)

कुबेर चालीसा : FAQ

कुबेर भगवान की मूर्ति किस दिशा में रखें

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर या ऑफिस की उत्तर दिशा में भगवान कुबेर की मूर्ति रखनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तर को भगवान कुबेर की दिशा माना जाता है और माना जाता है कि इस दिशा में मूर्ति रखने से धन और समृद्धि आती है।

कुबेर मूर्ति स्थापना करते समय कुछ जरुरी बाते

मूर्ति को स्वच्छ और ऊंचे चबूतरे पर स्थापित करना चाहिए।
मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
मूर्ति को फर्श से दूर रखना चाहिए और सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि मूर्ति के सामने कुबेर यंत्र रखने से इसकी प्रभावशीलता बढ़ सकती है।
मूर्ति को अच्छी रोशनी वाली जगह पर रखना चाहिए और किसी अंधेरे कोने में नहीं रखना चाहिए।

Leave a Comment