Gyaras Kab Hai: हिंदू पंचांग में, “ग्यारहवां” तिथि यानी अंक 11 को ग्यारस कहा जाता है। ग्यारहवां तिथि हिंदू पंचांग में शुक्ल पक्ष की एकादशी को दर्शाती है। ग्यारहवां तिथि का महत्व अन्य तिथियों की तुलना में बहुत होता है। इस तिथि को बहुत सारे परंपरागत और धार्मिक उत्सवों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
एकादशी, जो ग्यारहवां तिथि को दर्शाती है, हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग नियमित रूप से उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। एकादशी के दिन उपवास करने से मनुष्य के दुःख दूर होते हैं और उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है।
ग्यारस तिथि के महत्व
ग्यारस तिथि को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तिथि के दिन कई महत्वपूर्ण उत्सव मनाए जाते हैं जैसे कि प्रदोष व्रत, द्वादशी, अखंड दीप जलाने का दिन आदि। यह तिथि शुक्ल पक्ष की एकादशी को दर्शाती है और हिंदू पंचांग में ग्यारहवां यानि ग्यारस (Gyaras) तिथि के नाम से जानी जाती है।
Gyaras Kab Ki Hai?
इस सवाल का जब आपको यह आर्टिकल पढ़ने पर ही पता चलेगा वैसे बिना पढ़े भी जान सकते है हमने टेबल बना के परितेक महीनों के ग्यारस को लिखा है जिससे आसानी से आपको पता चल जाएगा । तो चलिए जानते है:
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त | Dev Uthani Gyaras Kab Ki Hai?
देवउठनी एकादशी, भारतीय हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो विश्वास के अनुसार भगवान विष्णु के उत्थान के अवसर को दर्शाता है। इस त्योहार को देव उठानी ग्यारस भी कहा जाता है। इस वर्ष, देवउठनी एकादशी 10 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी।
इस अवसर पर लोग उठकर सुबह जल्दी उठते हैं और विष्णु की पूजा करते हैं और स्नान करते हैं। अनुसार, इस दिन विवाह भी किया जाता है। इस त्योहार के दौरान, लोग दान-धर्म करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन और दान देते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन, सूर्योदय के 96 मिनट बाद पूजा की जाती है। इस त्योहार के महत्व को समझते हुए, धर्मानुयायियों द्वारा इस दिन धर्मिक कार्यों की शुरुआत की जाती है। इस तरीके से, देवउठनी एकादशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है।
तिथि | दिनांक | समय | वार |
एकादशी प्रारंभ | 02 जून | सुबह 05 बजकर 04 मिनट | रविवार |
एकादशी समापन | 03 जून | रात 02 बजकर 41 मिनट | सोमवार |
पूजा मुहूर्त | |||
मुहूर्त लाभ-उन्नति | |||
मुहूर्त अमृत-सर्वोत्तम |
Nirjala Gyaras Kab Hai?
निर्जला ज्येष्ठ ग्यारह हिंदू धर्म का एक विशेष त्योहार है, जो हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग खाने पीने से पूर्णतया परहेज करते हैं और सिर्फ जल उपवास करते हैं। इस दिन दान-धर्म करने का बहुत महत्व होता है।
लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उन्हें अपनी इच्छाएं मांगते हैं। इस दिन का व्रत सभी धर्मों में समान होता है और इसका महत्व वेदों में वर्णित है।
तिथि | दिनांक | समय | तिथि समाप् |
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एकादशी शुरू | 17 जून 2024 | सुबह 04 बजकर 43 मिनट | सोमवार |
एकादशी समाप्त | 18 जून 2024 | सुबह 06 बजकर 24 मिनट | मंगलवार |
ग्यारस के दिन का महत्व
ग्यारस के दिन नियमित रूप से उपवास रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अपने दुःखों से मुक्त होने की कामना करते हैं। उपवास करने से मन शांत होता है और उसकी आत्मा को शुद्धि मिलती है।
व्रत
ग्यारस के दिन द्वादशी का व्रत भी मनाया जाता है। इस दिन कुछ लोग उपवास (Nirjala Gyaras ) उपवास के दौरान सिर्फ फल, और दूध का सेवन करते हैं। और इसके अलावा दान-पुण्य भी भी करते है। लोग इस दिन दान देते हैं और ज्ञान वितरण करते हैं। इस तरह से यह दिन धर्म, आध्यात्मिकता, सेवा और समाज सेवा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।और हम अपने आप को भगवान के समीप महसूस कर सकते हैं।
संध्या कालीन पूजा
इस दिन संध्या के समय भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। संध्या काल में पूजा करने से हमारी मनोदशा शांत होती है और हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इस पूजा में अधिकतर लोगों के द्वारा तुलसी की पत्तियों से पूजा की जाती है।
दान-पुण्य
इस दिन दान-पुण्य का दिन माना जाता है। लोग अपनी ताकत और संभवतः सभी धनों से दान करते हैं। उन्हें यह महसूस होता है कि दान करने से उन्हें सुख मिलता है और उनकी आत्मा को शुद्धि मिलती है। इसके अलावा लोग ज्ञान वितरण भी करते हैं। इस तरह से यह दिन धर्म, आध्यात्मिकता, सेवा और समाज सेवा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
ग्यारस के उत्सव
ग्यारस के दिन कई उत्सव मनाए जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उसके अलावा यह दिन द्वादशी का व्रत भी माना जाता है। द्वादशी का व्रत रखने से मनुष्य की आत्मा को शुद्धि मिलती है और उसकी शांति होती है। इस दिन प्रदोष व्रत भी मनाया जाता है जिसे रखने से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से राहत मिलती है।
इस दिन के अलावा अखंड दीप जलाने का दिन भी मनाया जाता है। इस दिन लोग घर के मंदिर में अखंड दीप जलाते हैं और भगवान की आराधना करते हैं। यह दीपक सत्य, धर्म, और शुभ इच्छाओं को प्रकट करता है।
इस प्रकार, ग्यारस तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होती है। यह धर्म, आध्यात्मिकता, सेवा, और समाज सेवा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन का उत्सव मनाकर हम अपनी आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाने की कोशिश कर सकते हैं।